लघुकथा दिनांक ८.४.२३, शनिवार
वह प्रतीक्षा करती लड़की:
------------------------+++----------
मैं बी.ऐ.पास कर धनाभाव के कारण आगे नहीं पढ़ पाया था और एक दफ़्तर मे नौकरी पा गया था। प्रतिदिन सुबह ९.३० पर घर से एक पुरानी साईकिल पर निकलता और एक छोटे रास्ते से होकर दफ़्तर जाया करता था।
रास्ते में एक ऐंसा आवासीय क्षेत्र पड़ता था जहां अधिक तर नौकरी पेशा लोग रहते थे।मैं एक युवा लड़की को रोज ही उसके दरवाजे पर खड़े,रास्ते पर नज़रें टिकाए देखता था।उत्सुकता तो बहुत होती थी परन्तु मैं चुपचाप पैडल मारता हुआ आगे बढ़ जाता था,कभी उस से कुछ पूंछने का साहस एकत्रित न कर पाया था।
इसी प्रकार लगभग एक महीना बीत गया। उत्सुकता वश एक छुट्टी के दिन रविवार को भी मैं उस ओर गया तब भी मैंने उसे उसी तरह दरवाज़े पर खड़ा पाया।
उस दिन मैं स्वयं को न रोक सका और मैंने पूंछा ही लिया
" आप रोज़ यहां खड़ी हो कर किसकी प्रतीक्षा करती हैं मुझे बताइये शायद मैं कोई सहायता कर सकूं।"
यह सुन कर उस अन्जान परन्तु बहुत आकर्षक लड़की की आंखों से टप टप आंसू गिरने लगे और वह घर के अन्दर
भाग गयी।
किंकर्तव्यविमूढ़ सा हो कर मैं कुछ देर खड़ा रहा सोच नहीं पा रहा था कि मैं क्या करूं।तब ही अन्दर से एक मधुर स्वर ने मुझे झकझोर दिया, " अन्दर आ जाइये,बाहर खड़े क्या सोच रहे हैं "
मैं बिना कुछ सोचे साइकिल वहीं खड़ी कर भ्रमित सा अन्दर चला गया।अन्दर जा कर देखा वह छोटा सा दो कमरों का करीने से सजा हुआ,साफ़ किया हुआ घर था और मेज़ पर गर्म चाय के दो कप,कुछ बिस्किट आदि रखे थे।मुझे आश्चर्य हुआ कि इतनी जल्दी चाय कैंसे बना ली।
उस लड़की का नाम शोभा था ,वह नितान्त अकेली रहती थी ।उम्र उसकी २४ वर्ष थी बी.ए.पास कर बच्चों को घर घर जा कर पढ़ाया करती थी। उसकी शादी की बात करने वाला कोई नहीं था और वह जाने किस आशा में रोज़ ही दरवाजे पर जा खड़ी होती थी।
मैं फ़िर आने का वादा कर वहां से आ गया और सोचने लगा सिर्फ शोभा की सहायता करने वास्ते मैं उस से शादी करने के पक्ष में नहीं था।माली हालत हमारी भी अच्छी नहीं थी परन्तु शोभा सुस्ंस्कृत, पढ़ी लिखी आत्म विश्वास से पूर्ण और आकर्षक व्यक्तित्व वाली लड़की थी।
मैंने मां-पिता जी से बात की,मां शोभा से मिलीं और शादी पक्की हो गयी।
आनन्द कुमार मित्तल, अलीगढ़
shahil khan
09-Apr-2023 11:04 PM
nice
Reply
Gunjan Kamal
09-Apr-2023 12:52 PM
अच्छा लिखा
Reply
Varsha_Upadhyay
08-Apr-2023 09:45 PM
बहुत खूब
Reply